Friday, September 28, 2018

सफर Retirement तक का


कल से सुबह का अलार्म  अलग होगा

और दोपहर का खाना हमेशा घर पे होगा

कल  से थोड़ी मुक्ति महसूस होगी

लेकिन बोरियत भी ज़रूर होगी।


अनेक भावनाओं  के एहसास होंगे

थोड़ी ख़ुशी और थोड़ा गम होगा

मम्मी के लिए थोड़ा मुश्किल होगा

क्योंकि  छुप छुप के दरवाज़े पे चद्दर और शॉल  नहीं खरीद पायेगी

अब बरतन-वाली से झगड़ा भी कम कर पायेगी।


अब पापा घर पर ज़्यादा होंगे

घर पर खटर खुटर भी ज़्यादा  

होंगे क्योंकि शांति से बैठते नहीं वो

शौक के नाम पे कभी इलेक्ट्रिकल

तो कभी कारपेंटनरी या गार्डनिंग में  व्यस्त रहते वो।


सफर को थोड़ा पीछे लेते हैं  

एक वक़्त तथा जब तीन शिफ्ट में काम करते थे पापा  

तब सुबह वाली शिफ्ट में

पूरी शाम आपके  घर पे होने का डर लगता था

और दिन वाली शिफ्ट के अंत  में

रात को गेट कौन खोलेगा उसका नंबर हम तीनों में लग जाता था


रात की शिफ्ट सबसे मज़ेदार रहते थे

कभी मम्मी भूत क किस्से सुनाती

और फिर हम बजरंगबली का लॉकेट पकर के सोते थे

तो कभी पापा ठंड  में निकलने से पहले

मंकी टोपी और दस्ताने में हमे डराते थे।  


गर्मी की छुट्टियों में हर शिफ्ट के अलग मज़े थे

मम्मी को बेहला के कभी सुबह धुप में खेलने को मिलता था

और कभी देर शाम दोस्तों के साथ रहने का  

क्योंकि मुझे तो हमेशा मम्मी से ज्यादा पापा से डर लगता था।   


हर त्यौहार में नये कपड़े नहीं मिलते थे

तो थोड़ा अजीब सा लगता था

क्योंकि उस वक़्त सस्ती सब्ज़ी खरीदना और

महँगा स्कूल भेजना आम लगता था

खुद के लिए कुछ ना लेकर

परिवार की ज़रुरत को पूरा किया है

कहीं न कहीं मम्मी पापा के मेहनत  और त्याग

ने आज हम तीनों को इतना बड़ा कर दिया है।   


पापा की नौकरी ने हमे बहुत कुछ दिया है

साइकिल से स्कूटर और स्कूटर से कार वाला बना दिया है

छोटे से कमरे वाले घर को बड़ा कर दिया है

ब्लैक एंड वाइट टीवी को कलर कर दिया है

महंगे स्कूल और कॉलेज में पढ़ने का मौका दिया है

ये स्टील प्लांट इस परिवार का हिस्सा सा बन गया है।


ये समझ नहीं आ रहा की

पापा मम्मी को बढ़ाईयां दूँ

या प्लांट को दिलासा

क्योंकि एक अच्छा कर्मचारी  जा तो रहा है

लेकिन 37 साल  के बाद अब आराम का वक़्त भी आ गया है।  


इतना कुछ कहने को है आज

लेकिन इस कविता की पंक्तियाँ काम पड़ रही हैं

क्या करूँ कभी मम्मी पापा को उनके त्याग  के लिए धन्यवाद दिया नहीं

क्योंकि इस  दिखावे की ज़रुरत कभी लगी नहीं

आज सब के साथ ना होने का गम हमेशा रहेगा

लेकिन ख़ुशी है की आज परिवार  के बाकी सब साथ खुश होंगे।


-- प्रियंका

-- 22-09-2018